नमस्कार मित्रों। हमारी वेबसाइट Brahmand Tak में आपका हार्दिक स्वागत है। दोस्तों आज में आपको बहुत कुछ नया सिखाने वाला हूं जिसे जानकर आप अंतरिक्ष विज्ञान की तरफ बहुत ज्यादा आकर्षित हो जायेंगे। आज के ब्लॉग में में आपको बताऊंगा Is Time Travel Possible? Time Dilation, Multiverse, Parallel Universe, James Webb Telescope? इन सब टॉपिक्स के बारे में बहुत ही अच्छे से और विस्तार से समझाऊंगा। James Webb First Image,multiverse confirmed, james web clicked image of 13.8 billion years ago, time travel explain, multiverse explain in hindi, theory of special relativity, time dialation explained in hindi, gravity and speed, creation of sun, gravity of blackhole, blackhole kya hai, time machine, creation of blackhole, end of star, creation of star, temperature of space, nasa, jwst, space time, astronomy, astrology, Elbert Einstein, mystery of space
Is Time Travel Possible
दोस्तों टाइम ट्रैवल पर बात करने से पहले मैं आपको एक खुशखबरी देना चाहता हूं कि James Webb Space Telescope ने अंतरिक्ष की कुछ ऐसी HD इमेज भेजी है जो आज से लगभग 1370 करोड़ साल पुरानी है। पिछले साल क्रिसमस पर नासा ने लगभग 74,000 करोड़ की लागत से James Webb Space Telescope को लॉन्च किया था जिसे धरती से 1,600,000 Km दूर लेग्रेंज बिंदु L2 पर स्थापित किया गया। अब आप सोच रहे होंगे की जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप ने उस समय जब पृथ्वी का कोई अस्तित्व ही नहीं था, तब की इतनी साफ, रंगीन और HD Image कैसे ले ली? कैसे उसने वो अतीत देख लिया जब पृथ्वी बनी भी नही थी? और अगर यह सच है तो क्या हम पृथ्वी पर भी उस समय की तस्वीरे ले सकते है जब पृथ्वी पर डायनासोर थे, जब पृथ्वी पर आदिमानव हुआ करते थे, जब वानर सेना ने रामसेतु बनाया था? क्या हम महाभारत को फिर से होते हुए देख सकते है? आपके इन सभी सवालों का जवाब आपको इस ब्लॉग में मिल जायेगा। अगर आज आप के दिमाग के चक्षु खुल जाए तो इसे अपने दोस्तों और परिजनों के साथ शेयर जरूर करना।
दोस्तों आप सभी ने कई फिल्मों और उपन्यासों में टाइम ट्रैवल के बारे बहुत बार सुना और पढ़ा होगा। पर दोस्तो आपको क्या लगता है, टाइम ट्रैवल करना कभी पॉसिबल हो सकता है अथवा केवल एक कोरी कल्पना है या फिल्मी दुनिया की बेतुकी बात है। आप में से अधिकतर को यही लगता होगा की टाइम ट्रैवल करना बिलकुल संभव नहीं है पर यह सच नहीं है। टाइम ट्रैवल करना संभव है, जी हां सही पढ़ा आपने टाइम ट्रैवल करना संभव है वह भी एक या दो वर्ष नहीं बल्कि हजारों वर्ष और ये मेरे नही दुनिया के महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन के शब्द है। अलबत्ता साइंस तो यही कहती है कि टाइम ट्रैवल पॉसिबल है इसमें कोई दोराय नहीं है। हां कैसे पॉसिबल है वो आपको थोड़ी देर में समझ आ जायेगा।
टाइम ट्रैवल का मतलब है समय के किसी एक बिंदु से दूसरे बिंदु तक की यात्रा करना या साफ शब्दों में कहा जाए तो अपने अतीत या भविष्य की सैर करना।
वर्षो से हम यही मानते आए हैं कि समय हमेशा स्थिर गति से आगे बढ़ता रहता है या यूं कहें कि समय की रफ्तार हमेशा स्थिर रहती है चाहे आप धरती पर हो या आकाश में, सूर्य के पास हो या मंगल गृह पर या फिर ब्लैक होल ही क्यों न हो। मगर अल्बर्ट आइंस्टाइन ने बताया कि समय की रफ्तार स्थिर (constant) नहीं है। उन्होंने अपने सापेक्षता के विशिष्ट सिद्धांत में Time Dilation के बारे में बताया। उन्होंने बताया की समय, गति और गुरत्वाकर्षण पर निर्भर करता है। अर्थात दो भिन्न भिन्न गति से गतिशील वस्तुओं के लिए टाइम की परिभाषा अलग होगी। माना कोई वस्तु दूसरी वस्तु की अपेक्षा तेज गति से गतिशील है तो उस पहली वस्तु के लिए समय की रफ्तार धीमी हो जायेगी। इस बात को समझाने के लिए एक प्रयोग किया गया था। दो एटॉमिक वॉच ली गई जिनमे से एक को धरती पर रखा गया तथा दूसरी वॉच को एक बहुत गति से गतिशील विमान में भेजा गया। यहां एटॉमिक वॉच इसलिए इस्तेमाल की गई क्योंकि ये घड़ियां समय की सबसे सटीक गणना करती है। जब विमान से वापस लोटने के बाद दोनों घड़ियों के समय की तुलना की गई तो वैज्ञानिकों ने पाया कि जो घड़ी विमान में थी उसका समय बाहर स्थिर रखी घड़ी से कुछ माइक्रो सेकंड कम था अर्थात् विमान में समय धीमा हो गया था हालांकि यहां ध्यान देने योग्य बात है कि विमान में बैठे यात्रियों के लिए समय धीमा नहीं हुआ था उनके लिए तो समय सही रफ्तार से चल रहा था लेकिन कोई विमान के बाहर स्थिर खड़ा ऑब्जर्वर अगर विमान में रखी घड़ी को देखेगा तो घड़ी थोड़ी मंद गति से चलती नजर आएगी। जबकि विमान में बैठे यात्री तो घड़ी के साथ एक समान गति से गतिशील है इसलिए उनके लिए उस घड़ी का समय सामान्य गति से ही चल रहा होता है।
आपको ये चीजे बहुत ही ज्यादा कॉम्प्लिकेटेड लग रही होगी तो कन्फ्यूजन से बचने के लिए सबसे पहले आपको आपके दिमाग से वह पुरानी धारणा निकाल देनी चाहिए जिसके अनुसार समय को कांस्टेंट बताया जाता था। आपको अभी कुछ और ऐसे उदाहरण दूंगा जिससे Time Dilation की थ्योरी से संबंधित आपके सारे डाउट खत्म हो जायेंगे।
Albert Einstein ने बताया कि इस Time Dilation की थ्योरी के इस्तेमाल से फ्यूचर में Time Travel किया जा सकता है वह भी एक नहीं हजारों साल आगे तक।
Time Dilation की गणितीय गणनाओं के आधार पर अगर आप प्रकाश की गति से चलने वाले किसी स्पेसक्राफ्ट में मात्र एक साल बिताते है तो उतने समय में धरती पर 900 साल बीत जायेंगे। यानि जब एक साल बाद आप वापस लौट कर धरती पर आओगे तो धरती पर 900 साल बीत चुके होंगे आपके वंश की 30-40 पीढ़ियां जन्म लेकर मर चुकी होंगी जबकि इस दौरान आपने तो अपने जीवन का मात्र एक साल जिया है। जाहिर है ये सब बाते सुनकर आपका दिमाग चकरा जाएगा पर थियोरेटिकली ये अवधारणा शत प्रतिशत सच है जिसे प्रकाश की तुलना में कम स्पीड वाले विमानों में सत्यापित भी किया जा चुका है।
अब आपके मन मे ये सवाल जरूर आएगा कि कोई व्यक्ति प्रकाश की गति वाले स्पेसक्राफ्ट में एक साल गुजारता है तो उसी दौरान धरती पर उसकी 30-40 पीढ़ियां जन्म लेकर मर चुकी होंगी, पर आपके इस सवाल का जवाब भी है। दरअसल प्रकाश की गति से यदि कोई स्पेसक्राफ्ट चल रहा है तब उसमे सवार किसी व्यक्ति या घड़ी को कोई बाहर खड़ा ऑब्जर्वर ऑब्जर्व करें तो वह देखेगा कि समय से लेकर उस व्यक्ति की कोशिकाएं तक हर चीज बहुत ज्यादा धीमी हो गई या लगभग रुक सी गई परंतु उस स्पेसक्राफ्ट में बैठे व्यक्ति के लिए समय भी सामान्य है और उसकी शरीर की कोशिकाओं और बाकी अंगो की मूवमेंट भी सामान्य है। साफ साफ शब्दों में कहूं तो उस स्पेसक्राफ्ट में बैठे यक्ति की एजिंग बहुत ज्यादा स्लो हो जाती है जो की टाइम पर डिपेंड करती है। अतः प्रकाश की गति वाले स्पेसक्राफ्ट में एक साल से यात्रा कर रहे व्यक्ति के लिए तो एक साल ही गुजरा है परंतु धरती पर तब तक 800 साल बीत चुके है। क्यों की यहां टाइम भी फास्ट है इसलिए लोगो की एजिंग भी फास्ट है।
अब सैद्धांतिक रूप से तो ये हो सकता है लेकिन आप कहोगे कि ये तो पॉसिबल ही नहीं है क्यों कि प्रकाश की गति वाले स्पेसक्राफ्ट तो बनाना संभव ही नहीं है। आपकी इस बात से मैं शत प्रतिशत सहमत हूं, साइंस के अनुसार हम प्रकाश की गति से यात्रा नहीं कर सकते पर हम प्रकाश की गति से थोड़ी कम गति से यात्रा कर सकते है। साइंस इस बात को मानता है और ऐसे विमान तैयार किए जा सकते है जो प्रकाश की गति से कम गति से यात्रा कर सकेंगे (इस विषय पर मैं अलग से एक ब्लॉग लिख दूंगा समझाने के लिए) मतलब जितना टाइम ट्रैवल प्रकाश की गति वाले स्पेसक्राफ्ट से कर सकते है उससे कम टाइम ट्रैवल कर पाएंगे।
दोस्तो ये तो था पहला तरीका जिससे हम स्पीड बढ़ाकर टाइम को धीमा करके फ्यूचर में ट्रैवल कर सकते हैं। एक अन्य तरीका और है जिसकी सहायता से फ्यूचर में टाइम ट्रैवल किया जा सकता है जी हां मैने ऊपर भी कहा था कि Time गति और गुरुत्वाकर्षण पर निर्भर करता है। इसका कांसेप्ट बहुत ही साधारण और सरल है। जिस गृह या ऑब्जेक्ट का गुरुत्वाकर्षण बहुत ज्यादा होता है उसके आस पास और उस ऑब्जेक्ट पर समय बहुत धीमा हो जाता है। इसका सीधा सीधा मतलब यह हुआ कि हर गृह हर तारे के लिए टाइम की परिभाषा अलग है। और ब्लैकहोल जिनका गुरुत्वाकर्षण और घनत्व बहुत ही ज्यादा होता है वहां टाइम अत्यधिक धीमा हो जाता है। आइंस्टीन ने बताया की समय और स्पेस एक दूसरे से जुड़े हुए है एक दूसरे से अलग नहीं है। अंतरिक्ष में स्पेस-टाइम की चादर बिछी हुई है। किसी पिंड का जितना ज्यादा गुरुत्वाकर्षण या यूं कहें कि जितना ज्यादा मास होता है वो उतना ही ज्यादा नीचे धंस जाता है इस स्पेस टाइम (दिक् काल) में। जिसकी वजह से स्पेस टाइम में बहुत बड़ा curve बन जाता है जिसके कारण इस पिंड के आसपास और इस पिंड पर टाइम बहुत ज्यादा स्लो हो जाता है। अब मान लो की आप ब्लैकहोल के आसपास किसी गृह पर अगर आप एक साल बिताते है तो उतने टाइम में धरती पर 60,000 साल हो जाते है या उस से भी ज्यादा। आप खुद देख लीजिए इतना ज्यादा टाइम डायलेशन जो प्रकाश की स्पीड पर गति करने से भी नहीं हो रहा वो ब्लैकहोल के आस पास रहने से हो सकता है। जब एक साल बाद आप धरती पर लौट कर आयेंगे तो धरती पर 60,000 साल बीत चुके होंगे।
तो दोस्तों ये दोनो मैथड थे फ्यूचर में टाइम ट्रैवल करने के। अब आप कहेंगे कि क्या भूतकाल में टाइम ट्रैवल किया जा सकता है तो साइंस का जवाब केवल ना होगा। क्योंकि साइंस के अनुसार पास्ट यानि अतीत में टाइम ट्रैवल करना पॉसिबल नहीं है। क्योंकि मान लीजिए हजारों लाखों साल साइंस इतनी तरक्की कर ले की पास्ट में टाइम ट्रैवल करना पॉसिबल हो जायेगा, तो फिर क्यों नहीं कोई फ्यूचर से टाइम ट्रैवल करके आया हमारे पास। आप खुद सोचिए आप उन लोगो के बीच में कैसे जा सकते है जो मर चुके है सैंकड़ों या हजारों साल पहले जिनकी हड्डियां भी गल चुकी होंगी। ये अलग बात है कि शायद ऐसी कोई पैरलल यूनिवर्स (समानांतर ब्रह्मांड) मिल जाए जहां इस धरती का अतीत चल रहा हो तो वहां हम जा पाए। लेकिन आप अगर वहां जाकर अपने अतीत को बदलना चाहे तो ये बिलकुल पॉसिबल नहीं होगा क्योंकि पैरलल यूनिवर्स की घटनाएं उसी यूनिवर्स के लिए जिम्मेदार होती है, हमारी धरती पर उसका कोई असर नहीं पड़ेगा।
फॉर एग्जांपल आपके किसी दोस्त की मौत हो जाती है किसी दुर्घटना में। आप चाहते है कि काश में अतीत में जाकर बचा पाऊं उसको। जैसा कि मैंने पहले भी कहा है आप जिस धरती पर जी रहे हो उसके अतीत में नहीं जा सकते और मान लो आप पैरलल यूनिवर्स में चले जाओ जहां धरती का अतीत चल रहा हो और अपने दोस्त को उस दुर्घटना से बचा लेते हो तो आपका दोस्त केवल उस पैरलल यूनिवर्स में ही जिंदा रहेगा जहां आप उसे बचाने गए है। इस धरती पर तो वो मर चुका है ये मानना ही पड़ेगा आपको क्योंकि यही सच है। जो हो गया वो हो गया उस पर आपका कोई जोर नहीं है।